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10 आयुर्वेदिक नुस्खे जो आपकी बॉडी को रखेंगे फिट और स्वस्थ (10 Ayurvedic tips that will keep your body fit and healthy)
एक स्वस्थ आहार का पालन करना मुश्किल लग सकता है लेकिन यह एक स्वस्थ जीवन बिताने के लिए महत्वपूर्ण है। शारीरिक गतिविधि के साथ पोस्टिक और अच्छी तरह से संतुलित भोजन अच्छे स्वास्थ्य की नींव है। स्वस्थवर्धक आहार में उच्च गुणवत्ता बाली प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, हृदय-स्वस्थ बसा, विटामिन, खनिज और पानी शामिल होते हैं। आज कल लोग बिजी शेड्यूल के चलते अपनी सेहत पर ठीक से ध्यान ही नहीं दे पाते। यही कारण है कि लोग आज कल छोटी से लेकर बड़ी हेल्थ प्रॉब्लम से घिरे है। मगर जब तक आपका स्वास्थ्य ही ठीक नहीं होगा तब तक आपका मन भी काम में नहीं लगेगा। पाचन क्रिया हमारे शरीर के महत्तपूर्ण हिस्सों में से एक है। यह हमारे शरीर में गए खाने को पचाता है साथ ही हमे ऊर्जा प्रदान करता है। परन्तु हम सबको किसी न किसी मौके पर बुरी पाचन क्रिया का अनुभव हुआ है। पाचन तंत्र के अंदर मौजूद अच्छे और बुरे बैक्टीरिया के असंतुलन से हमे ऐसा अनुभव होता है। यह संतुलन निद्रा, दवाइयाँ, ज्यादा मात्रा में मीठा लेना और शराब के सेवन से बिगड़ जाता है। आयुर्वेद में पाचन तंत्र को अग्नि के समान माना जाता है। पाचन तंत्र को शरीर का ऊर्जा स्त्रोत्र माना जाता है। रोगी होकर इलाज कराने से अच्छा है कि बीमार ही न पड़ा जाए। आयुर्वेद का प्रयोजन भी यही है। स्वस्थ के स्वास्थ्य की रक्षा एवं रोगी के रोग का शमन।
आयुर्वेद का हमारे जीवन में महत्व (Importance of Ayurveda in our life)
आयुर्वेद शब्द का अर्थ: आयुर्वेद एक संस्कृत शब्द है जिसको हिंदी में अनुवाद करें तो उसका अर्थ होता है "जीवन का विज्ञान"। आयुर्वेदिक चिकित्सा दुनिया की सबसे पुरानी और समग्र शारीरिक चिकित्सा प्रणालियों में से एक है। ये भारत में 3000 साल पहले विकसित किया गया था। बदलती जीवन शैली में इंसान जल्दी राहत के लिए अलग-अलग और सहज पद्धतियां अपना रहें है लेकिन असाध्य बीमारियों को जड़ से मिटाने के लिए आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति रामबाण है। इससे कईं बीमारीयों को रोका जा सकता है तो कुछ बीमारीयों को हावी होने से रोका भी जा सकता हैं। खास बात ये है के इसका कोई साइड-इफेक्ट नहीं होता। आयुर्वेद का आधार है शरीर और मन का संतुलन। स्वास्थ्य भी इस नाज़ूक संतुलन पर निर्भर करता है। इसका मुख्य लक्ष्य अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा देना है, न कि बीमारी से लड़ना। लेकिन आयुर्वेद चिकित्सा विशिष्ट स्वास्थ्य समस्याओं की ओर बढ़ाया जा सकता है। यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ़ अमेरिका में, इसे पूरक और वैकल्पिक चिकित्सा का एक रूप माना जाता है।
1. ताज़ी हवा और कुछ आसन (Fresh air and some postures): योग करते रहने से किसी भी प्रकार का रोग, शोक, संताप, तनाव, अनिद्रा और बीमारी पास नहीं फटकती है। यदि बिजी शेड्यूल के चलते आपके पास योगासन करने का समय नहीं है तो आप सूर्यनमस्कार करने ही फिट बने रह सकते है। और यदि समय है तो आपको योग आवश्यक करना चाहिए। जैसे की अग्नि को जलने के लिए हवा की जरुरत होती है, उसी प्रकार आपके पाचन तंत्र को भी स्वस्थ रहने के लिए ताज़ी हवा की जरूरत होती है। सुबह घूमने जाना या फिर प्रकृति में लंबी पैदल यात्रा करने आपको ताज़ी हव का सेवनअनुभव करा सकते है।
2. पौष्टिक नाश्ता (Nutritious breakfast): शरीर को फिट एंड फाइन रखने के लिए सिर्फ एक्सरसाइज ही ज़रूरी नहीं है। इसके लिए पौष्टिक भोजन की भी जरूरत होती है। अगर आप अपने शरीर को फिट रखना है। वास्तव में स्वस्थ नाश्ते के लिए आपको अधिक मेहनत करने की ज़रूरत नहीं है। आप ऐसे मल्टीग्रेन आहार की चुनाव करे जो आपके शरीर को फिट रखता है। ऐसे खाद्य पदार्थ से बचे जो आपके शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ता हो। अक्सर खाने के चक्कर में महिलाएं भूल जाती हैं की हमे क्या खाना चाहिए और क्या नहीं।
3. सही मात्रा में पानी का सेवन (Right amount of water intake): जितना आपके शरीर में भोजन की ज़रूरत होती है उससे कई गुणा अधिक पानी की ज़रूरत होती है। क्या आपको मालूम है, पानी शरीर को डिटॉक्सीफाई करने, कैलोरी बर्न करने और असामयिक खाद्य पदार्थों को दबाने में मदद करने के बेहतर माना जाता है। स्वस्थ बने रहने के लिए दिन में कम से कम 8 से 10 गिलास पानी पीना जरूरी है। लेकिन सुबह का वह एक गिलास गर्म पानी ही आपकी बहुत मदद कर सकता है। जी हां, रोज सुबह एक गिलास गर्म पानी पीने के कई फायदे है जैसे - रोज सुबह एक गिलासा गर्म पानी से आप अपना मोटापे काम कर सकते है साथ ही गर्म पानी पीने से पाचन शक्ति दुरुस्त होती है। जो खाना अच्छे से डाइजेस्ट करने में मददगार होगी और पूरी सेहत को सही बनाए रखेगी।
4. अधिक गुणों वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करना (Eating high quality foods): भोजन सही समय पर करें और खाने में एक ही तरह की चीज खाएं। इससे आपके पेट से जुड़ी समस्याएं नहीं होंगी। इसके अलावा हमेशा जमीन पर बैठकर भोजन करें। आयुवेद के मुताबिक, जमीन पर बैठककर खाना खाने से आप कई बीमारियों से बचे रहते हैं। दिनचर्या में गुणवान खाद्य पदार्थो का आहार सेवन करना आपके पाचन तंत्र वाली अग्नि कोसुधार सकते है। आपके आहार में पर्याप्त मात्रा में सब्ज़िया एवं फल होना आपके पाचन तंत्र के लिए आवश्यक है। इस तरह का आहार आपकोपाचन में होने वाली बिमारिओ से बचा सकता है।
5. विषहरण (Detoxification): विषहरण क्रिया हर एक इंसान के लिए अलग हो सकती है। विषहरण क्रिया से आप अपनी अग्नि को एक शक्तिशाली तरीके से फिरसे शुरू कर सकते है। आयुर्वेद पाचन तंत्र को विषहरण क्रिया से साफ़ रखने की सलाह भी देता है। विषहरण क्रिया से आप अपने अंदरूनी प्रणाली की मरम्मत कर उसे उसकी उच्चतम उत्पादकता पर पहुंचा सकते है। विषहरण क्रिया फलो के जूस के सेवन से लेकर पंचकर्माथेरेपी तक विस्तारित है। पाचन तंत्र के अंदर की अग्नि हर मनुष्य को सकिर्या और ऊर्जा से भरपूर रखती है।
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Anil kumar
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