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अस्थमा फेफड़ों की एक बीमारी है। फेफड़ों की वायु नलिकाओं में सूजन के कारण अस्थमा होता है, जिसमे व्यक्ति को सांस लेने में कठिनाई होती है। किसी भी व्यक्ति को अस्थमा होने का सबसे प्रमुख कारण उसके परिवार में किसी और को अस्थमा का होना हो सकता है। या फिर ये कहे की उसके परिवार के इतिहास में किसी को अस्थमा हो। हालांकि वायु प्रदूषण, घरेलू एलर्जी जैसे बिस्तर में खटमल, स्टफ्ड फर्नीचर, तंबाकू का धुआं और रासायनिक पदार्थ अस्थमा के प्रमुख कारकों में शामिल है। अस्थमा की वजह से व्यक्ति को कई समस्याएं हो जाती है जैसे सांस लेने में समस्या, जोर-जोर से सांस लेना, खांसी होना, सांस का फूलना इत्यादि। अलग-अलग लोगों में अस्थमा का असर अलग-अलग तरीके से होता है, कुछ लोगों के लिए यह एक छोटी सी समस्या है, तो वहीं कुछ लोगों को अस्थमा की वजह से काफी परेशानी झेलनी पड़ती है। लक्षणों के आधार देखे तो अस्थमा के दो प्रकार होते है। बाहरी अस्थमा और आंतरिक अस्थमा। बाहरी अस्थमा बाहरी एलर्जन के प्रति एक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया है, बाहरी अस्थमा जानवरों, धूल जैसे बाहरी एलर्जिक चीजों के कारण होता है। आंतरिक अस्थमा कुछ रासायनिक तत्वों को श्वसन द्वारा शरीर में प्रवेश होने से होता है जैसे कि सिगरेट का धुआं, पेंट वेपर्स आदि।
ह्यूमन बॉडी में अस्थमा कैसे फैलता है (How does asthma spread in the human body)
1. किसी व्यक्ति के फेफड़ों तक हवा तक न पहुंच पाने के कारण उसे सांस लेने में होने वाली तकलीफ को अस्थमा कहते है।
2. अस्थमा होने के बाद व्यक्ति को अनेक प्रकार की समस्याएं होने लगती है जैसे सांस लेने में तकलीफ, जोर-जोर से सांस लेना, सांस का फूलना इत्यादि।
3. अलग अलग रोगियों में अस्थमा का असर अलग-अलग होता है। कुछ रोगियों के लिए ये एक एक नॉर्मल सी प्रॉब्लम होती है तो वही कुछ रोगियों के लिए ये एक घातक और जानलेवा बीमारी बन जाती है।
अस्थमा के लक्षण (Symptoms of asthma)
अस्थमा से पीड़ित व्यक्ति को आमतौर पर सांस लेने में तकलीफ, सीने में दर्द होना, खांसी होना इत्यादि होता आम बात है। इन सभी लक्षणों में उतार-चढ़ाव होना भी आम बात है लेकिन कुछ मामलों में अस्थमा से पीड़ित व्यक्ति को यह पता ही नहीं चलता है कि उन्हें अस्थमा की बीमारी है क्योंकि उनमें ये सभी लक्षण नज़र नहीं आते है। तो चलिए आज हम आपको बताते है कि ये सारे लक्षण न होने पर भी अस्थमा को कैसे पहचाने।
1. अस्थमा से पीड़ित व्यक्ति को बलगम वाली खांसी या सूखी खांसी होना आम बात है।
2. अस्थमा के पीड़ितों को सीने में जकड़न महसूस होती है साथ ही उनको सांस लेने में भी कठिनाई होती है।
3. अस्थमा से पीड़ित व्यक्ति को अक्सर सांस लेते समय घरघराहट की आवाज आना और सुबह में या रात के समय उनकी स्थिति और गंभीर हो जाना है।
4. अस्थमा के पीड़ित व्यक्ति की ठंडी हवा में सांस लेने से उनकी हालत और अधिक गंभीर हो जाती है साथ ही उनका व्यायाम के दौरान स्वास्थ्य और ज्यादा खराब हो जाता है।
5. अस्थमा के रोगी जोर-जोर से सांस लेते है, जिसके कारण उनको थकान महसूस होती है। कई बार तो स्थिति इतनी गंभीर हो जाती है कि अस्थमा के रोगी को उल्टी होने की संभावना भी बढ़ जाती है।
अस्थमा के प्रकार (Type of Asthma)
1. एलर्जिक अस्थमा (Allergic Asthma): एलर्जिक अस्थमा में आपको किसी न किसी चीज से एलर्जी होती है। जैसे धूल-मिट्टी के संपर्क में आने से। कई लोगों को धूल-मिट्टी के संपर्क में आते ही अस्थमा हो जाता है या फिर कई बार लोग मौसम परिवर्तन के कारण भी अस्थमा के शिकार हो सकते है
2. नॉनएलर्जिक अस्थमा (Nonallergic Asthma): नॉनएलर्जिक अस्थमा शरीर में किसी चीज की अति होने के कारण होता है। जैसे अगर आप बहुत अधिक तनाव में हो या बहुत तेज-तेज हंस रहे हो, या फिर आपको बहुत अधिक सर्दी लग गई हो ये सब नॉनएलर्जिक अस्थमा के ही लक्षण है।
3. मिक्सड अस्थमा (Mixed COPD Asthma): मिक्सड अस्थमा कई बार एलर्जिक के कारण तो कई बार नॉन एलर्जिक कारणों से भी होता है। कई बार तो मिक्सड अस्थमा के होने के कारणों का पता लगाना भी थोड़ा मुश्किल होता है।
4. एक्सरसाइज इनड्यूस अस्थमा (Exercise Induced Asthma): क्या आपको पता है कि कई बार तो लोगों को एक्सरसाइज या फिर अधिक शारीरिक सक्रियता के कारण भी अस्थमा हो जाता है। जब कोई भी व्यक्ति अपनी क्षमता से अधिक काम करने लगता है तो वो अस्थमा का शिकार हो जाता है।
5. कफ वेरिएंट अस्थमा (Cough Variant Asthma): कफ वेरिएंट अस्थमा में व्यक्ति को बहुत ज्यादा कफ होता है कई बार व्यक्ति को कफ वाली खांसी भी होती है जिसके कारण कई बार उनको अस्थमा का अटैक भी पड़ जाता है।
6. ऑक्यूपेशनल अस्थमा (Occupational Asthma): ऑक्यूपेशनल अस्थमा में व्यक्ति को अचानक काम के दौरान अस्थमा अटैक पड़ जाता है। जब आप नियमित रूप से लगातार एक ही तरह का काम करते है तो अकसर आपको इस दौरान अस्थमा अटैक पड़ने लगते है।
7. नॉक्टेर्नल यानी नाइटटाइम अस्थमा (Nocturne Means Nighttime Asthma): नॉक्टेर्नल यानी नाइटटाइम अस्थमा का अटैक अक्सर आपको रात के समय पर पड़ता है जब आपको रात के समय अस्थमा का अटैक पड़ने लगे तो आपको समझ लेना चाहिए कि आप नॉक्टेर्नल अस्थमा के शिकार है।
8. मिमिक अस्थमा (Mimic Asthma): जब भी किसी व्यक्ति को कोई स्वास्थ्य संबंधी बीमारी जैसे निमोनिया, कार्डियक जैसी बीमारियां होती हैं तो उसको मिमिक अस्थमा हो सकता है। आमतौर पर मिमिक अस्थमा तबियत अधिक खराब होने पर होता है।
9. चाइल्ड ऑनसेट अस्थमा (Child Onset Asthma): चाइल्ड ऑनसेट अस्थमा सिर्फ बच्चों में ही पाया जाता है। अस्थमैटिक बच्चा जैसे-जैसे बड़ा होता जाता है तो बच्चा धीरे धीरे इस प्रकार के अस्थमा से अपने आप ही बाहर आने लगता है।
10. एडल्ट ऑनसेट अस्थमा (Adult-onset Asthma): एडल्ट ऑनसेट अस्थमा अक्सर युवाओं को होता है। अकसर ये अस्थमा 20 वर्ष की उम्र के बाद ही होता है। एडल्ट ऑनसेट अस्थमा के पीछे कई एलर्जिक कारण छुपे होते है।
अस्थमा के कारण (Causes of Asthma)
हालांकि ये बात सच है कि अभी तक पूरी दुनिया को अस्थमा होने की सही जानकारी नहीं है कि आखिर किस वजह से अस्थमा होता है, लेकिन फिर भी दुनियाभर के ज्यादातर रेसेअर्चेर और डॉक्टर का यही दावा है कि अस्थमा की बीमारी मुख्य रूप से पर्यावरण और जेनेटिक की वजह से होती है।
1. धूम्रपान करना (Smoke): धूम्रपान करना हमारे स्वास्थ्य के लिए कितना हानिकारक है ये बात हम सब लोग जानते है धूम्रपान करने वाले लोगों को सांस से होने वाली बीमारी होने के 90% अधिक संभावना बढ़ जाते है। अस्थमा एक फेफड़े की बीमारी है, जिन लोगों को स्मोकिंग करने का शौक होता है उनको अक्सर दमा की बीमारी हो सकती है।
2. मोटापा होना (To Be Fat): ऐसा माना जाता है या फिर ये कहे कि मोटापा बहुत सारी बीमारियों का कारण होता है। यह बात अस्थमा पर भी लागू होता है क्योंकि ऐसे कई सारे मामले देखने को मिलते हैं, जिनमें अस्थमा की बीमारी मोटापे की वजह से होती है।
3. एलर्जी होना (Allergic Reactions): ये बात तो शायद आपको भी पता होगी कि अक्सर, अस्थमा की शुरूआत एलर्जी के साथ होती है। इसी लिए डॉक्टर कहते है कि एलर्जी से पीड़ित व्यक्ति को किसी तरह की लापरवाही नहीं करनी चाहिए। ताकि एलर्जी वाले व्यक्ति को कोई गंभीर बीमारी न हो।
4. स्ट्रेस लेना (Taking Stress): आज कल लोगों की लाइफ कितनी स्ट्रेस्फुल्ल है इस बात का पता हम लोगों की भाग दौड़ भरी ज़िन्दगी को देख कर लगा सकते है। लाइफ में बहुत ज्यादा स्ट्रेस लेने से बहुत सारी बीमारियां फैल सकती है। जिनमे से एक अस्थमा भी हो सकता है। अस्थमा भी अक्सर ज्यादा स्ट्रेस के कारण ही होता है।
5. प्रदूषण होना (Pollution): प्रदूषण एक ऐसी प्रॉब्लम है जो अपने साथ हजारों और प्रॉब्लम को जन्म देती है। अस्थमा की बीमारी के होने की संभावना उस स्थिति में काफी बढ़ जाती है, जब वायु प्रदूषण काफी बढ़ जाता है।
अस्थमा का उपचार (Treatment of Asthma)
किसी भी व्यक्ति के लिए अस्थमा का उपचार तभी संभव है। जब उसे समय रहते अस्थमा के बारे में पता चल जाये। और वो अस्थमा के लक्षणों को पहचान कर तुरंत निदान के लिए डॉक्टर के पाए जाएं। अस्थमा के इलाज के लिए इसकी दवाएं बहुत कारगर होती है। अस्थमा से निपटने के लिए आमतौर पर इन्हेल्ड स्टेरॉयड या नाक के माध्यम से दी जाने वाली दवा और अन्य एंटी इंफ्लामेटरी दवाएं अस्थमा के लिए जरूरी मानी जाती है। अस्थमा में इन्हेलर का भी उपचार के तौर पर प्रयोग किया जाता है। इन्हेलर का काम फेफड़ों में दवाई पहुंचना होता है। जब किसी भी व्यक्ति को अस्थमा का गंभीर अटैक पड़ता है तो डॉक्टर अक्सर उससे ओरल कोर्टिकोस्टेरॉयड्स का एक छोटा कोर्स करने को बोल सकते है। इस कोर्स को दो सप्ताह तक करने से कोर्टिकोस्टेरॉयड के दुष्प्रभाव होने की संभावना कम हो जाती है। वही दूसरी तरफ इसके एक महीने से ज्यादा प्रयोग से इसके दुष्प्रभाव अधिक गंभीर और स्थायी भी हो सकते है।
अस्थमा से बचाव (Asthma prevention)
1. हर व्यक्ति के लिए अस्थमा में इलाज के साथ इसके बचाव की अवश्यकता होते है अस्थमा के मरीजों को अधिक बारिश और सर्दी से ज्यादा धूल भरी आंधी से बचना चाहिए। रोगी के शरीर में बारिश की नमी बढ़ने से संक्रमण की संभावना ज्यादा होती है। इस लिए अस्थमा के रोगियों को खुद को इन चीजों से बचा कर रखना चाहिए।
2. अस्थमा के रोगियों को ज्यादा गर्म और ज्यादा नम वातावरण से बचना चाहिए क्योकि इस तरह के वातावरण में मोल्ड स्पोर्स के फैलने की संभावना अधिक बढ़ जाती है।
3. अस्थमा के रोगियों को घर से बाहर निकलने पर मास्क साथ रखना चाहिए। यह उनको प्रदूषण से बचने में मदद करेगा। साथ ही अगर आप अस्थमा के मरीज है तो आपको अपनी दवाईयां साथ रखनी चाहिए, खासकर इन्हेलर।
4. योग के माध्यम से भी अस्थमा पर कंट्रोल किया जा सकता है। सूर्य नमस्कार, प्राणायाम, भुजंगासन जैसे योग अस्थमा के लिए फायदेमंद होते है।
5. अस्थमा के रोगियों खानपान भी बेहतर होना चाहिए। अस्थमा के मरीजों को प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा वाली चीजों का सेवन कम से कम करना चाहिए। कोल्ड ड्रिंक, ठंडा पानी और ठंडी प्रकृति वाले आहारों का सेवन नहीं करना चाहिए। अस्थमा के रोगियों के लिए अंडे, मछली और मांस जैसी चीजें हानिकारक होती है।
अस्थमा के रोगियों को डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए ? (When should Asthma patients go to the doctor?)
अगर किसी भी व्यक्ति को रोज काम करते समय खांसी, सांस लेने में तकलीफ जैसी परेशानी हो रही हो तो उसे डॉक्टर से मिलना चाहिए। सबसे ज्यादा खराब स्थिति में अगर किसी व्यक्ति को काफी समय से सांस लेने की तकलीफ होने के कारण उसे इनहेलर का इस्तेमाल करना पड़ सकता है। अत: ऐसी स्थिति में व्यक्ति को तुरंत डॉक्टर मिलकर अपना इलाज शुरू कराना चाहिए।
अस्थमाकाउपचार (Treatment of asthma)
अस्थमा को पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सकता, लेकिन अस्थमा को नियत्रित कर रोगी व्यक्ति अपनी खुशहाल जिंदगी बिता सकता है। डॉक्टर अस्थमा के रोगी को दो तरह से दवाएं लेने की सलाह लेते हैं। पहली, तुरंत राहत देने वाली दवाएं जैसे रिलीवर इनहेलर। दूसरी, दमा निवारक दवाएं और इनहेलर, जिन्हें डॉक्टर के परामर्श के अनुसार ही लेना चाहिए।
अस्थमानिवारकदवाइया (Anti-asthma medicine)
अस्थमा की ये दवाइया रोगी के फेफड़ों को ठीक से काम करने में मदद करती है। और इन दवाइयों से अस्थमा का दौरा पड़ने का खतरा भी कम हो जाता है। डॉक्टर रोगी का चेकअप करने के बाद ही यह निर्णय लेता है कि रोगी को रोजाना दवा लेने की जरूरत है या नहीं। अगर किसी मरीज को हफ्ते में दो बार से ज्यादा सीने में जकड़न या सास लेने में तकलीफ महसूस हो, या फिर तुरंत राहत देने वाली दवाओं का इस्तेमाल हफ्ते में दो बार से ज्यादा कर रहा हो, तब इस स्थिति में डॉक्टर उसे रोगी को रोजाना दवाएं देने की सलाह देते है। अस्थमा निवारक दवाओं के इस्तेमाल से रोगी कभी भी इनका आदी नहीं बनता, भले ही वह कई सालों से इसकी दवाओं का सेवन क्यों न कर रहा हो। ऐसी दवाओं के इस्तेमाल से फेफड़ों के वायु मार्ग खुले रहते है।
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