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पीसीओडी क्या है? साथ ही जाने इसके कारण, लक्षण और घरेलू उपाय
What is PCOD? Also know its causes, symptoms and home remedies
आज के समय पर हमारे देश की महिलाएं पुरुषों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही हैं। वे अपने घर व बाहर दोनों में संतुलन बनाये रखती है परन्तु इन सबके बीच वे अपने शरीर का ध्यान रखना भूल जाती है। अपने शरीर के ऊपर ध्यान न देने से उनके शरीर में कई बीमारियाँ अपना स्थान बनाने लगी हैं उन बिमारियों में से एक है। पॉली सिस्टिक ओवरी डिसऑर्डर यानी की पीसीओडी। आज के समय पर महिलाओं और लड़कियों के पास टाइम की कमी और कार्य की अधिकता होने के कारण वो अपने खाने पीने पर सही से ध्यान नहीं दे पाती और कई बिमारियों का शिकार हो जाती हैं। शायद आपको पता न हो या फिर आपको महसूस न होता हो, पर आपके खाने-पीने और रहन सहन का आपके शरीर और होने वाली बिमारियों पर काफी प्रभाव पड़ता है।
आज के समय पर महिलाओं के शरीर में हार्मोनल स्तर में बदलाव होना एक सामान्य बात है। इससे महिलाओं के शरीर में हार्मोनल परिवर्तन से संबंधित कई जोखिम भी उत्पन्न हो सकते हैं। उनमे से एक है पॉली सिस्टिक ओवरी डिसऑर्डर यानी की पीसीओडी। आपको बता दें कि एक मेडिकल रिसर्च के अनुसार हमारे देश में 10 में से 6 महिलाएं आज के समय पर इस बीमारी से पीड़ित है और करीबन 70 % महिलाओं को तो पता ही नहीं होता कि वे पीसीओडी से पीड़ित हैं लेकिन अगर किसी महिला को पता है कि पीसीओडी से पीड़ित है तो उससे बिना किसी झिझक के इस बारे में डॉक्टर से बात करनी चाहिए। तो चलिए आज हम आपको अपने इस आर्टिकल के माध्यम से बताएंगे कि पीसीओडी के कारण क्या हो सकता है और पीसीओएस के लक्षण किस तरह से नजर आ सकते हैं। इसके अलावा, पीसीओएस के लिए घरेलू उपाय पर विस्तारपूर्वक जानकारी देंगे।
जाने क्या होता है पीसीओडी?
What is PCOD?
किसी भी महिला में पीसीओडी की समस्या जब उत्पन्न होती है, जब उसके शरीर में हार्मोंस असंतुलित हो जाएं व उसके मेटाबॉलिज्म में समस्या होने लगे। महिलाओं के शरीर में हार्मोंस असंतुलित होने से उनका मासिक धर्म चक्र प्रभावित होता है। अगर हम एक महिला के प्रजनन प्रणाली को समझे, तो हर दूसरे महीने में प्रत्येक अंडाशय एक अंडा पैदा करता है जो की या तो शुक्राणु के संपर्क में आने से नष्ट हो जाता है या फिर मासिक धर्म यानी पीरियड आने पर नष्ट हो जाता है। लेकिन अगर किसी महिला को पीसीओडी है तो ऐसी स्थिति में अंडाशय बहुत सारे अपरिपक्व या आंशिक रूप से परिपक्व अंडे को रिलीज करता हैं जो की समय के साथ धीरे धीरे सिस्ट के रूप विकसित होने लगते हैं। पीसीओडी ज्यादातर एण्ड्रोजन उत्पादन के कारण ही होता है। जो की महिलाओं के शरीर में हर महीने oocytes यानी अंडे की परिपक्वता में बाधा डालता है। साथ ही बता दें कि पीसीओडी के कारण महिलाओं को गर्भधारण करने में भी समस्या आती है। इसके साथ ही आपको बता दें कि जब महिलाओं के शरीर में पुरुष हार्मोन का विकास होने लगता है तो भी उन्हें पीसीओएस की समस्या उत्पन्न हो सकती है। महिलाओं में इस हार्मोन की वृद्धि के परिणामस्वरूप कई समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं, जिनमें मासिक धर्म की अनियमितता, बांझपन और त्वचा संबधित समस्याएं जैसे मुंहासे और बालों का बढ़ना शामिल हैं आपको बता दें कि आप पीसीओडी को अपने हेल्दी लाइफस्टाइल और अपनी डाइट में थोड़े से बदलाव कर के या फिर दवाओं से भी नियंत्रित किया जा सकता है।
पीसीओडी किन्हे होता है?
Who gets PCOD?
हमारे देश में 10 में से 6 महिलाएं पीसीओडी से पीड़ित होती है अगर हम उनकी उम्र की बात करें तो 15 और 44 वर्ष के बीच, या उन वर्षों के दौरान जब उनको बच्चे हो सकते हैं, पीसीओडी से पीड़ित हो जाती हैं। हमारे देश में करीबन 70 % महिलाओं को तो पता ही नहीं होता कि वे पीसीओडी से पीड़ित हैं और अधिकांश महिलाओं को उनके 20 और 30 साल की आयु में पता चलता है कि उनको पीसीओडी है, जब उन्हें गर्भवती होने में किसी प्रकार की समस्या आती है और वे डॉक्टर को दिखाती है। लेकिन पीसीओएस आपके यौवन के बाद किसी भी उम्र में हो सकता है। बता दें कि पीसीओडी किसी भी जाति या फिर नस्ल की महिला को हो सकता है।
जाने पीसीओडी के कारण
Know the causes of PCOD
महिलाओं में पीसीओएस का मुख्य कारण उनके हार्मोन के स्तर में परिवर्तन होना होता है। जिस कारण ओवरी में अंडाणु पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाते और उनका ओवरी से बाहर निकलना भी कठिन हो जाता है। हालांकि एक मेडिकल रिसर्च के अनुसार सटीक रूप से यह कहना मुश्किल है कि पीसीओएस किस कारण से होता है, लेकिन इसे लेकर आम धारणाएं कुछ इस प्रकार हैं।
आनुवंशिक कारण: आपको बता दें कि कुछ महिलाओं में पीसीओएस की समस्या आनुवंशिक हो सकती है। यह समस्या एक पीढ़ी से दूसरे पीढ़ी की महिला को हो सकती है यानी की यह समस्या आपको अपनी मां या फिर नानी से आ सकती है। हालांकि, इस संबंध में वैज्ञानिक शोध का अभाव है, लेकिन जिनकी मां को यह समस्या रही हो, उन्हें अधिक सावधानी बरतनी चाहिए।
पुरुष हार्मोन की वृद्धि: बात दें कि कई बार महिलाओं की ओवरी अधिक मात्रा में पुरुष हार्मोन यानी की एंड्रोजन का उत्पादन करने लगती है। पुरुष हार्मोन के ज्यादा मात्रा में उत्पादन होने पर ओव्यूलेशन प्रक्रिया के समय अंडाणु को बाहर निकलने में मुश्किल होती है। इस अवस्था को मेडिकल भाषा में हाइपरएंड्रोजनिसम कहा जाता है।
इंसुलिन असंतुलन: महिलाओं के शरीर में पाया जाने वाला इंसुलिन हार्मोन भी उनके लिए पीसीओएस कारण बन सकता है। दरअसल, हार्मोन आहार में पाए जाने वाले शुगर और स्टार्च को ऊर्जा में बदलने का काम करते हैं। वहीं, जब इंसुलिन का संतुलन बिगड़ जाता है, तो एंड्रोजन हार्मोन की वृद्धि होने लगती है। इससे ओव्यूलेशन प्रक्रिया पर प्रभाव पढ़ने लगता है और महिलाओं में पीसीओएस की समस्या उत्पन्न हो जाती है।
लाइफ स्टाइल: आज के समय में अक्सर महिलाओं में पीसीओडी की समस्या उनके लाइफस्टाइल के कारण होता है। जंक फूड का सेवन ज्यादा करने से शरीर को पर्याप्त पौष्टिक तत्व नहीं मिल पाते हैं। साथ ही आज के समय पर महिलाओं द्वारा नशीले पदार्थों और सिगरेट का सेवन करना भी इस बीमारी का एक कारण है।
पीसीओडी के लक्षण
Symptoms of PCOD
अनचाही जगहों में बालों का विकास: महिला के शरीर में पुरुष हॉर्मोन एण्ड्रोजन ज़्यादा बनने की वजह से उनके शरीर में काफी बदलाव आ सकते है जैसे की चेहरे और शरीर के कई हिस्सों पर ज़्यादा बाल उगना। शरीर और चेहरे पर सामान्य से ज़्यादा बालों के उगने को अतिरोमता यानि "Hirsutism" कहते है। इसमें महिलाओं चेहरे या ठोड़ी, स्तनों, पेट, या अंगूठे और पैर की उंगलियों जैसे स्थानों पर अनचाहे बाल उग सकते हैं।
बालों का झड़ना: महिलाओं के शरीर में एण्ड्रोजन हॉर्मोन की मात्रा बढ़ने से उसके सिर के बाल पतले हो सकते है और जिससे उनके बालों का झड़ना बढ़ सकता है।
वजन बढ़ना: पीसीओडी के कारण अक्सर महिलाएं वजन बढ़ने की समस्या के साथ संघर्ष करती रहती हैं या फिर कहे उन्हें वजन कम करने में मुश्किलें होती है।
मुंहासे: महिलाओं को हार्मोन परिवर्तन के कारण पिंपल और तैलीय त्वचा की समस्या हो सकती है।
सोने में परेशानी: पीसीओडी में महिलाओं को सोते समय परेशानी और हर समय थकान महसूस हो सकती है। साथ ही हॉर्मोन के परिवर्तन के कारण उन्हें सिर दर्द की समस्या भी हो सकती है।
गर्भवती होने में परेशानी: पीसीओडी महिलाओं में बांझपन के प्रमुख कारणों में से एक है।
पीरियड्स की समस्याएं: पीसीओडी होने पर महिलाओं को पीरियड्स अनियमित हो सकते हैं या फिर बार कई महीनों तक पीरियड्स आना बंद हो जाता है। या फिर पीरियड्स के दौरान बहुत भारी ब्लीडिंग हो सकती है।
पीसीओडी के घरेलू उपचार
home remedies for PCOD
पीसीओडी गर्भवती होने वाली महिलाओं में सबसे आम एंडोक्राइन स्थिति है। जिसका इलाज लाइफस्टाइल में कुछ परिवर्तन लाकर किया जा सकता है, साथ ही कुछ घरेलू नुस्खों की सहायता से भी इसे नियंत्रित किया जा सकता है, जो इस प्रकार हैं:
दाल चीनी का करें सेवन: पीसीओडी या पीसीओएस जैसी बीमारी से बचने के लिए आप दालचीनी का सेवन कर सकते हैं। मेडिकल रिसर्च के अनुसार, दालचीनी का सेवन करने से इंसुलिन का स्तर कम होता है। साथ ही इससे मोटापा भी कम हो सकता है। अगर कोई महिला पीसीओडी से छुटकारा पाना चाहती हैं, तो वो 1 गिलास गर्म पानी के साथ एक चम्मच दालचीनी पाउडर का सेवन नियमित रूप से करती हैं, तो इससे उसकी पीसीओडी की परेशानी काफी हद तक कंट्रोल हो सकती है।
पुदीने की पत्तियां: आपको बता दें कि महिलाओं के लिए पीसीओडी की परेशानी को कंट्रोल करने के लिए पुदीने की पत्तियां काफी ज्यादा लाभकारी हो सकती हैं। इसका सेवन करने के लिए आपको पैन में 1 गिलास पानी डालकर उससे अच्छे से गर्म करना होगा। उसके बाद इस पानी में 7 से 8 पुदीने की पत्तियां डाल दें। अब इस पानी को करीब 10 मिनट तक उबालें। इसके बाद पानी को छानकर पिएं। कुछ सप्ताह तक इस पानी का सेवन करने से शरीर में टेस्टोस्टेरोन हार्मोन का स्तर कम हो सकता है। साथ ही यह शरीर में अतिरिक्त बालों का बढ़ने से रोक सकता है।
मेथी का करें सेवन: पीसीओडी में महिलाओं के शरीर का वजन काफी तेजी से बढ़ सकता है। ऐसे में मेथी का सेवन करना महिलाओं के लिए काफी लाभदायक हो सकता है। मेथी शरीर में ग्लूकोज के मेटाबॉलिज्म को बढ़ावा देती है और इससे इंसुलिन का स्तर कम होता है।
मुलेठी: अगर आपको पीसीओडी की समस्या है तो आपको एक चम्मच मुलेठी के चूर्ण को एक कप पानी में डालकर उबालना होगा। उसके बाद इसका काढ़ा बनाकर चाय की तरह पिएं। कुछ दिन तक इसके सेवन से टेस्टोस्टेरोन के स्तर में कमी आती है तथा शोध के अनुसार पाया गया है कि मुलेठी की जड़ का चूर्ण ओव्युलेशन की प्रक्रिया को बढ़ावा देता है.
तुलसी: ये बात तो हम सभी लोग जनते है कि तुलसी के अन्दर एन्टी-एन्ड्रोजेनिक गुण पाए जाते हैं। इसलिए आपको प्रतिदिन 8-10 तुलसी की पत्तियों का काढ़ा बनाकर पिएं। ये आपको पीसीओडी की समस्या से भी छुटकारा दिला सकती है।
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